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तमिलनाडु में RTE दाखिले पर केंद्र की हरी झंडी, ₹700 करोड़ फंड जारी

byaditya4h agoभारत
तमिलनाडु में RTE दाखिले पर केंद्र की हरी झंडी, ₹700 करोड़ फंड जारी

चेन्नई से बड़ी खबर: शिक्षा के अधिकार कानून के तहत दाखिले अब समय पर

तमिलनाडु में शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत होने वाले दाखिले को लेकर कई दिनों से अनिश्चितता बनी हुई थी। आखिरकार केंद्र सरकार ने 700 करोड़ रुपये का लंबित फंड मंजूर कर दिया है, जिससे राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग को राहत मिली है। इस फैसले के बाद अब 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए RTE दाखिले 6 अक्टूबर से शुरू होंगे।

पृष्ठभूमि: क्यों अटका था दाखिला?

पिछले कुछ महीनों से राज्य सरकार और केंद्र के बीच फंड को लेकर खींचतान चल रही थी। केंद्र से मिलने वाली समग्र शिक्षा अभियान (SSA) की राशि लंबित थी, जिसकी वजह से दाखिले की प्रक्रिया बार-बार टल रही थी। स्कूल संचालकों का कहना था कि बिना सब्सिडी के निजी स्कूलों पर भार पड़ रहा था और इससे गरीब बच्चों का दाखिला प्रभावित हो रहा था।

चेन्नई के एक निजी स्कूल प्रिंसिपल ने बातचीत में कहा, “सरकार का पैसा समय पर न मिलने से हम मुश्किल में थे। अब उम्मीद है कि प्रक्रिया सुचारू होगी और बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहेगा।”

कितनी सीटें, किसके लिए?

राज्य में RTE के तहत हर साल लगभग 1.25 लाख सीटें आरक्षित रहती हैं। इनमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और वंचित समुदायों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है। सरकार इन दाखिलों की फीस निजी स्कूलों को सब्सिडी के रूप में देती है।

इस बार दाखिले में करीब 1.5 लाख से ज्यादा आवेदन आने की संभावना है। शिक्षा विभाग के मुताबिक, पोर्टल 6 अक्टूबर को खुलेगा और 9 अक्टूबर से स्कूलों में बच्चों की लिस्ट जारी हो जाएगी।

माता-पिता में उत्साह और सुकून

लंबे इंतजार के बाद यह खबर अभिभावकों के लिए बड़ी राहत है। तिरुवल्लूर जिले के एक मजदूर राजेश ने कहा, “मैं अपनी बेटी को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहता हूं। जब सुना कि दाखिला रुक गया है तो चिंता बढ़ गई थी। अब चैन मिला कि सरकार ने कदम उठाया।”

केंद्र-राज्य संबंधों पर भी असर

यह फैसला केवल शिक्षा व्यवस्था के लिए ही नहीं, बल्कि केंद्र और तमिलनाडु सरकार के रिश्तों के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। विपक्ष का आरोप था कि केंद्र फंड रोककर राजनीति कर रहा है। अब जब पैसे मंजूर हुए हैं, तो राज्य सरकार ने भी स्वीकार किया है कि यह बच्चों के हित में बड़ा कदम है।

राज्य शिक्षा मंत्री ने कहा, “हमने बार-बार केंद्र से अनुरोध किया था। अब फंड आ गया है, तो दाखिले बिना देरी शुरू होंगे। हमारा लक्ष्य है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।”

शिक्षा पर बड़ा सवाल: क्या समय पर मिलेगी मदद?

हालांकि फंड जारी होना राहत की बात है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हर साल यही स्थिति बनेगी? शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर केंद्र और राज्य मिलकर समयबद्ध व्यवस्था करें तो दाखिले में बार-बार रुकावट नहीं आएगी।

शिक्षाविद् अनीता कृष्णन ने कहा, “शिक्षा का अधिकार सिर्फ कागज पर नहीं रहना चाहिए। सरकारों को बच्चों के हित को प्राथमिकता देनी होगी।”

आगे की राह

अब जबकि पोर्टल खुलने जा रहा है, हजारों अभिभावक ऑनलाइन आवेदन करने की तैयारी में हैं। शिक्षा विभाग ने बताया कि हेल्पलाइन और विशेष केंद्र भी बनाए जाएंगे ताकि ग्रामीण इलाकों के माता-पिता को आवेदन में दिक्कत न हो।

भविष्य की दृष्टि से देखा जाए तो यह फैसला केवल तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है कि जब केंद्र और राज्य मिलकर काम करें तो शिक्षा का अधिकार सच में ‘अधिकार’ बनता है, सिर्फ वादा नहीं।