
घटना जिसने देश को हिला दिया
उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले में 2 अक्टूबर 2025 की रात को हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। 38 वर्षीय दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की गांव वालों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि ग्रामीणों ने उन्हें चोरी के शक में पकड़ लिया और बिना किसी सबूत के बेरहमी से मार दिया।
पुलिस के अनुसार, यह घटना तब हुई जब गांव में कुछ लोगों ने रात में अज्ञात व्यक्ति को घूमते हुए देखा और अफवाह फैल गई कि कोई चोर है। गुस्साई भीड़ ने हरिओम को पकड़ लिया और बुरी तरह पीट दिया। जब तक पुलिस पहुंची, वह गंभीर रूप से घायल हो चुके थे। अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई।
इस जघन्य घटना ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में जातिगत हिंसा और सामाजिक असमानता पर नई बहस छेड़ दी है।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारियां
घटना के बाद रायबरेली पुलिस ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें मुख्य आरोपी दीपक अग्रहरि को पुलिस ने एक मुठभेड़ के बाद पकड़ा। उसके पैर में गोली लगने के बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पुलिस ने बताया कि बाकी आरोपियों से पूछताछ चल रही है और इस मामले में चार्जशीट जल्द ही दाखिल की जाएगी। रायबरेली के एसपी ने कहा, “किसी निर्दोष की हत्या को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी दोषियों को सख्त सजा दिलाई जाएगी।”
राज्य सरकार ने हरिओम के परिवार के लिए आर्थिक मदद, नौकरी और आवास देने की घोषणा की है। प्रशासन ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा के लिए गांव में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया है।
राहुल गांधी का रायबरेली दौरा
17 अक्टूबर को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी रायबरेली पहुंचे और हरिओम वाल्मीकि के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने परिवार को गले लगाकर ढांढस बंधाया और आश्वासन दिया कि कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा,
"हरिओम वाल्मीकि की नृशंस हत्या ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। उनके परिवार की आंखों में दर्द के साथ एक सवाल था — क्या इस देश में दलित होना अब भी जानलेवा गुनाह है?"
उन्होंने प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए कि स्थानीय अधिकारियों ने उनके दौरे को रोकने की कोशिश की। राहुल ने कहा कि परिवार को धमकाकर उनसे मिलने से मना किया गया, लेकिन उन्होंने कहा, “न्याय को नज़रबंद नहीं किया जा सकता। भाजपा सरकार को चाहिए कि पीड़ित परिवार पर दबाव खत्म करे और दोषियों को सख्त सजा दिलाए।”
परिवार का दर्द और समर्थन के लिए धन्यवाद
हरिओम वाल्मीकि के परिजनों ने राहुल गांधी के समर्थन के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि पिछले दो हफ्तों से वे डर और असुरक्षा में जी रहे हैं। परिवार की एक महिला सदस्य ने मीडिया से कहा, “हमारे बेटे को भीड़ ने मार दिया और अब हमें ही डराया जा रहा है। राहुल जी के आने से हिम्मत मिली।”
राज्य सरकार द्वारा दी गई सहायता के बावजूद, परिवार ने न्याय की मांग दोहराई और कहा कि उन्हें केवल मुआवजा नहीं, बल्कि सच्चा न्याय चाहिए ताकि कोई और दलित ऐसी त्रासदी का शिकार न बने।
राजनीतिक माहौल और विपक्ष का हमला
इस घटना ने राजनीतिक तापमान भी बढ़ा दिया है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा सरकार पर कानून व्यवस्था में विफलता का आरोप लगाया।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि, “दलितों और गरीबों की सुरक्षा के नाम पर भाजपा सरकार सिर्फ भाषण देती है, ज़मीन पर सच कुछ और है।”
वहीं, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि यह घटना बताती है कि उत्तर प्रदेश में दलित समाज आज भी भय के साये में जी रहा है। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि पूरे समाज के आत्मसम्मान पर हमला है।”
सरकारी प्रतिक्रिया और न्याय की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में तेजी दिखाने का दावा किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बयान जारी किया गया कि सभी आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कराई जाएगी।
साथ ही, परिवार को आर्थिक सहायता, सरकारी नौकरी और आवास योजना के तहत घर देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अधिकारी नियमित रूप से परिवार से संपर्क में हैं ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
फिर भी, मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि केवल आर्थिक मदद काफी नहीं है। जरूरी है कि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और तेज़ हो ताकि यह मामला मिसाल बन सके।
सामाजिक आक्रोश और एकजुटता की अपील
देशभर में दलित संगठनों, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हरिओम वाल्मीकि की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। कई शहरों में मोमबत्ती जलाकर न्याय की मांग की गई। सोशल मीडिया पर #JusticeForHariom ट्रेंड कर रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक छात्र ने लिखा, “हम किस समाज में रह रहे हैं जहां किसी की जाति उसकी जान की कीमत तय करती है? यह सिर्फ हरिओम का मामला नहीं, यह भारत के संविधान की आत्मा पर चोट है।”
निष्कर्ष: न्याय और बदलाव की उम्मीद
हरिओम वाल्मीकि की हत्या ने एक बार फिर याद दिलाया है कि जातिगत हिंसा अभी भी भारत के कई हिस्सों में जिंदा है। यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि उस सोच की तस्वीर है जो बराबरी के सपने को आज भी अधूरा रखती है।
राहुल गांधी की मुलाकात ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय बहस में ला दिया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इस बार न्याय वास्तव में मिलेगा या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में भुला दिया जाएगा।
हरिओम के परिवार की मांग सीधी है — “हमें डर नहीं चाहिए, हमें न्याय चाहिए।”