
हरियाणा के चर्चित IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार की संदिग्ध मौत के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी चंडीगढ़ पहुंचे, जहां उन्होंने पूरन कुमार की पत्नी और परिवार से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने न केवल संवेदना जताई, बल्कि प्रशासन और समाज पर कड़े सवाल भी उठाए।
उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं है। यह उस व्यवस्था का आईना है जो अब भी दलितों को बराबरी से देखने के लिए तैयार नहीं है। अगर आप दलित हैं, तो चाहे कितने भी सक्षम क्यों न हों, आपको कुचला जा सकता है।”
मौत जिसने झकझोर दिया पूरा सिस्टम
IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार की मौत 7 अक्टूबर को हुई थी। बताया जाता है कि उन्होंने अपने सरकारी आवास में खुद को गोली मार ली थी। उनके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ जिसमें कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम शामिल हैं। उस नोट में उन्होंने जातिगत उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए थे।
उनकी पत्नी अमनीत पूरन कुमार, जो खुद IAS अधिकारी हैं, ने कहा कि उनके पति को लगातार तंग किया जा रहा था और जातिगत टिप्पणियां की जाती थीं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मामले में SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाए और सभी आरोपित अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए।
परिवार का विरोध, पोस्टमॉर्टम रोका गया
पूरन कुमार के परिवार ने पोस्टमॉर्टम करवाने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक आरोपित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे किसी भी औपचारिक प्रक्रिया की अनुमति नहीं देंगे। परिवार का यह रुख पूरे हरियाणा में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस मामले में हरियाणा सरकार ने दबाव बढ़ने के बाद DGP शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है और जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की गई है। सरकार का दावा है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी, लेकिन विपक्ष और दलित संगठनों को इस पर भरोसा नहीं है।
राहुल गांधी का सख्त बयान
राहुल गांधी ने चंडीगढ़ में मीडिया से बात करते हुए कहा, “पूरन कुमार जैसे अधिकारी देश की शान हैं। अगर ऐसे अधिकारी को भी जाति के नाम पर तोड़ा जा सकता है, तो सोचिए आम नागरिक क्या झेलता होगा। यह मामला सिर्फ न्याय का नहीं, बल्कि आत्मसम्मान का है।”
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़क तक उठाएगी। “हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक परिवार को न्याय नहीं मिलता,” राहुल गांधी ने कहा।
विपक्ष का हल्ला और दलित संगठनों की एकजुटता
पूरन कुमार की मौत के बाद से कई दलित संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक दल खुलकर मैदान में उतर आए हैं। पंजाब कांग्रेस ने DGP की तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है। वहीं हरियाणा राजस्व अधिकारी संघ ने भी एक दिन का सामूहिक अवकाश लेकर इस घटना के विरोध में अपनी एकजुटता दिखाई।
आम आदमी पार्टी और BSP ने भी बयान जारी कर कहा कि इस घटना ने साबित कर दिया है कि सत्ता और सिस्टम अब भी जातिगत पक्षपात से मुक्त नहीं हुए हैं।
तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्का ने भी चंडीगढ़ पहुंचकर परिवार से मुलाकात की और कहा, “दलित अधिकारी की मौत कोई साधारण घटना नहीं है, यह पूरे प्रशासनिक ढांचे पर सवाल है।”
अब आगे क्या
अब नजरें सरकार की जांच टीम पर टिकी हैं। क्या SIT सच में सच्चाई तक पहुंचेगी या यह मामला भी धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाएगा?
परिवार का रुख साफ है — जब तक आरोपियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, वे पीछे नहीं हटेंगे। लोगों में भी गुस्सा बढ़ता जा रहा है, खासकर दलित समुदाय में।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “अगर इस केस में ईमानदारी से कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सिर्फ एक अफसर की नहीं, पूरे सिस्टम की हार होगी।”
पूरन कुमार की मौत सिर्फ एक आत्महत्या नहीं लगती। यह एक संकेत है कि समाज के सबसे मजबूत वर्गों में भी जातिगत भेदभाव अब भी जिंदा है। सवाल यह है कि क्या इस बार न्याय सिर्फ फाइलों में सिमट जाएगा या देश सच में बदलेगा?
यह मामला आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर बड़ा मुद्दा बन सकता है। राहुल गांधी की यह मुलाकात केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है — अब खामोशी नहीं चलेगी।