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109वीं जयंती पर नेताओं ने किया भारत रत्न नानाजी देशमुख को याद, मोदी बोले उनकी सोच आज भी देश का मार्गदर्शन करती है

byaditya6h agoभारत
109वीं जयंती पर नेताओं ने किया भारत रत्न नानाजी देशमुख को याद, मोदी बोले उनकी सोच आज भी देश का मार्गदर्शन करती है

11 अक्टूबर 2025 को पूरा देश उस महान व्यक्तित्व को याद कर रहा है जिसने कहा था कि भारत की आत्मा उसके गांवों में बसती है।

भारत रत्न नानाजी देशमुख की 109वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।

दिल्ली, चितरकूट और कई राज्यों में सुबह से ही श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए।

प्रधानमंत्री मोदी ने संदेश जारी करते हुए लिखा कि नानाजी का जीवन भारत के गांवों, किसानों और गरीबों की सेवा में समर्पित रहा। उन्होंने देश को आत्मनिर्भरता की राह दिखाई।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि नानाजी देशमुख ने यह साबित किया कि सच्चा विकास वही है जो समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे। भाजपा नेताओं ने भी कहा कि उनकी सोच आज की योजनाओं में जीवित है।

सेवा और स्वावलंबन की प्रतीक पहचान

नानाजी देशमुख का जन्म 11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले में हुआ था।

बचपन से ही उनमें सेवा की भावना थी। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और बाद में भारतीय जनसंघ के प्रमुख कार्यकर्ताओं में शामिल हुए।

उन्होंने राजनीति से दूरी बनाकर पूरा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

उनका विश्वास था कि जब गांव बदलेंगे तभी देश बदलेगा।

चितरकूट में उन्होंने दीनदयाल अनुसंधान संस्थान की स्थापना की, जहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य, जैविक खेती और ग्राम स्वावलंबन के प्रयोग किए गए।

उनकी सोच थी कि समाज की असली ताकत गांवों में है।

1999 में उन्हें पद्म विभूषण और 2019 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

नेताओं की श्रद्धांजलि और जनता की भावना

दिल्ली में भाजपा मुख्यालय से लेकर चितरकूट तक श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित हुईं।

प्रधानमंत्री ने पुष्प अर्पित किए, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने उनकी तस्वीर के सामने दीप जलाए।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि नानाजी देशमुख केवल एक विचारक नहीं बल्कि एक आंदोलन थे।

उनका जीवन दिखाता है कि परिवर्तन सत्ता से नहीं, समाज की सहभागिता से आता है।

जनता के बीच भी यह भावना थी कि नानाजी जैसे लोगों की वजह से आज गांवों में विकास की बात होती है।

कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि नानाजी के मॉडल पर चलकर ही आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।

आज की नीतियों में जीवित है उनका दर्शन

नानाजी देशमुख का दर्शन आज भी सरकारी योजनाओं में झलकता है।

प्रधानमंत्री धन धन्य कृषि योजना, ग्राम स्वावलंबन मिशन और डिजिटल कृषि पहलें उनके आत्मनिर्भरता के विचार से मेल खाती हैं।

चितरकूट और बुंदेलखंड के कई गांव आज भी उनके मॉडल पर चलते हैं।

वहाँ ग्रामीण स्वयं निर्णय लेते हैं कि कौन सा विकास कार्य सबसे पहले किया जाए और सरकार केवल सहयोग करती है।

नानाजी हमेशा कहा करते थे कि सेवा का अर्थ दान नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता जगाना है।

उनके इस सिद्धांत को आज कई युवा संगठन अपना रहे हैं।

भविष्य की दिशा और उम्मीदें

नानाजी देशमुख का जीवन आज के भारत के लिए प्रेरणा है।

जब देश जलवायु परिवर्तन, कृषि संकट और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, तब उनके विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं।

ग्रामीण विकास को टिकाऊ बनाने के लिए जरूरी है कि नानाजी के मॉडलों को आधुनिक तकनीक और डिजिटल नवाचारों से जोड़ा जाए।

उनकी सोच यह थी कि हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए।

अगर आने वाले वर्षों में भारत उनके सिद्धांतों को नीति के केंद्र में रखे तो देश में विकास केवल आंकड़ों में नहीं बल्कि ज़मीन पर भी दिखेगा।

निष्कर्ष

नानाजी देशमुख केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि विचारों का प्रवाह थे।

उन्होंने यह सिखाया कि आत्मनिर्भरता केवल अर्थशास्त्र का शब्द नहीं बल्कि जीवन जीने की शैली है।

उनकी 109वीं जयंती पर नेताओं की श्रद्धांजलि तभी सार्थक मानी जाएगी जब उनके विचारों को व्यवहार में उतारा जाएगा।

गांवों को सशक्त बनाना ही नानाजी को सच्ची श्रद्धांजलि है क्योंकि उन्होंने हमेशा कहा था कि भारत तभी विकसित होगा जब उसका आखिरी गांव खुशहाल होगा।