
दुरगापुर गैंगरेप केस से पूरा राज्य स्तब्ध
पश्चिम बंगाल के दुरगापुर में 9 अक्टूबर को एक 23 वर्षीय एमबीबीएस छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले ने पूरे राज्य को हिला दिया है। पीड़िता ओडिशा की रहने वाली है और आईक्यू सिटी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी। इस मामले में अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हो सकते हैं।
घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन उनके एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया।
ममता के बयान पर मचा बवाल
ममता बनर्जी ने कहा कि “लड़कियों को रात में बाहर नहीं जाना चाहिए” और यह भी बताया कि घटना आधी रात के बाद हुई थी। लेकिन कॉलेज प्रशासन और पीड़िता के पिता ने इस दावे को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि घटना रात करीब नौ बजे हुई थी, न कि आधी रात को।
उनके इस बयान को सोशल मीडिया पर विक्टिम ब्लेमिंग करार दिया जा रहा है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने न केवल गलत जानकारी दी बल्कि पीड़िता पर ही अप्रत्यक्ष रूप से दोष मढ़ने की कोशिश की।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “जब मुख्यमंत्री खुद संवेदनहीन बातें करेंगी तो राज्य की महिलाएं किससे उम्मीद करेंगी?”
भाजपा की महिला मोर्चा प्रमुख अग्निमित्रा पॉल ने भी ट्वीट किया, “ममता बनर्जी को शर्म आनी चाहिए। एक युवती का दर्द समझने के बजाय वह उसे ही दोषी ठहरा रही हैं।”
महिला संगठनों ने जताई नाराजगी
महिला संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी मुख्यमंत्री के बयान की कड़ी निंदा की है। कोलकाता के महिला अधिकार संगठन की एक सदस्य ने कहा,
“हर बार जब कोई नेता यह कहता है कि लड़की को रात में नहीं निकलना चाहिए, तो अपराधियों को अप्रत्यक्ष रूप से खुली छूट मिलती है।”
देशभर में कई सोशल मीडिया कैंपेन चल रहे हैं जिनमें #JusticeForDurgapurStudent और #StopVictimBlaming जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
आरोपियों के राजनीतिक रिश्ते पर उठे सवाल
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों में से दो के टीएमसी युवा विंग से संबंध बताए जा रहे हैं। हालांकि पार्टी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि “कानून अपना काम करेगा और दोषी कोई भी हो, उसे सजा जरूर मिलेगी।”
फिलहाल चारों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और पुलिस ने चार्जशीट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पीड़िता के परिवार का दर्द
पीड़िता के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मेरी बेटी ने डॉक्टर बनने का सपना देखा था। हमें न्याय चाहिए, लेकिन नेताओं को हमारे दर्द पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।”
परिवार ने मुख्यमंत्री के बयान पर निराशा जताई और कहा कि गलत बयान देने से समाज में गलत संदेश जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई मुख्यमंत्री इस तरह की टिप्पणी करती हैं तो अपराधियों का हौसला बढ़ता है।
राजनीतिक माहौल गर्माया
यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सड़क पर उतरकर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी कर रही हैं। भाजपा की ओर से सोमवार को महिला सुरक्षा मार्च निकाले जाने की घोषणा की गई है जबकि कांग्रेस ने विधानसभा में इस मुद्दे पर बहस की मांग की है।
राज्य के कई इलाकों में छात्रों और महिलाओं ने भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए हैं। सोशल मीडिया पर लगातार सवाल उठ रहे हैं कि बंगाल में महिला सुरक्षा की स्थिति क्यों बिगड़ रही है।
राज्य में बढ़ती घटनाओं पर चिंता
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। खास तौर पर दुरगापुर, आसनसोल और कोलकाता जैसे शहरी इलाकों में molestation और sexual assault के केस तेजी से बढ़े हैं।
सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि केवल कानून सख्त करने से फर्क नहीं पड़ेगा जब तक कि नेताओं की भाषा और सोच में बदलाव नहीं आता।
निष्कर्ष
दुरगापुर गैंगरेप की यह घटना न केवल एक जघन्य अपराध है बल्कि इसने बंगाल की राजनीति और समाज को झकझोर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान ने बहस छेड़ दी है कि क्या सत्ता में बैठे लोग अभी भी महिला सुरक्षा को गंभीरता से लेते हैं या नहीं।
राज्य में अब जनता का ध्यान केवल एक चीज पर है क्या इस बार पीड़िता को न्याय मिलेगा या यह मामला भी बाकी मामलों की तरह धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाएगा।