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दिल का दौरा हमेशा छाती के दर्द से शुरू नहीं होता, डॉक्टरों ने बताया असली पहला संकेत

byaditya5h agoस्वास्थ्य
दिल का दौरा हमेशा छाती के दर्द से शुरू नहीं होता, डॉक्टरों ने बताया असली पहला संकेत

दिल का दौरा: पहला संकेत छाती दर्द नहीं होता

दिल का दौरा सुनते ही सबसे पहले ज़हन में आता है — छाती में तेज दर्द और घबराहट

लेकिन क्या सच में यही हमेशा पहला लक्षण होता है?

कार्डियोलॉजिस्ट्स के मुताबिक नहीं।

एक नई स्टडी ने इस पुराने मिथक को तोड़ दिया है और बताया है कि दिल का दौरा कई बार चुपचाप शुरू होता है, बिना किसी छाती के दर्द के।

दिल विशेषज्ञों का कहना है कि मरीजों में सबसे पहला संकेत सांस फूलना, थकान या बेचैनी हो सकता है।

कई बार यह इतना सामान्य लगता है कि लोग इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं — और यही गलती जानलेवा साबित हो सकती है।

डॉक्टरों की चेतावनी: पहले संकेत को न समझें मामूली

दिल के रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण महाजन के मुताबिक, “कई मरीज अस्पताल तब आते हैं जब नुकसान हो चुका होता है। वे सोचते रहते हैं कि थोड़ी थकावट है या गैस की समस्या है, जबकि दिल धीरे-धीरे संकट में जा रहा होता है।”

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ी है जिनमें मरीज को छाती में दर्द नहीं हुआ, लेकिन बाद में ईसीजी और ब्लड रिपोर्ट में हार्ट अटैक की पुष्टि हुई।

ऐसे में डॉक्टरों की सलाह है कि अगर अचानक सांस फूलने, पसीना आने, या कमज़ोरी महसूस होने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत जांच कराएं।

99% मामले चार कारणों से जुड़े — नई स्टडी का बड़ा खुलासा

Moneycontrol की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार, लगभग 99% दिल के दौरे और स्ट्रोक सिर्फ चार मुख्य जोखिम कारकों से जुड़े पाए गए।

ये चार खतरे हैं:

  1. उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
  2. धूम्रपान या तंबाकू सेवन (Smoking)
  3. मधुमेह (Diabetes)
  4. उच्च कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol)

स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों में इन चार में से दो या तीन कारक मौजूद थे, उनमें दिल के दौरे की संभावना कई गुना अधिक थी।

डॉ. महाजन के अनुसार, “इनमें से ज़्यादातर कारण हमारी रोज़मर्रा की आदतों से जुड़े हैं। यानी इन्हें रोका जा सकता है। अगर लोग समय रहते ब्लड प्रेशर, शुगर और लिपिड की जांच करवाएं, तो 70% दिल के दौरे टाले जा सकते हैं।”

पहले लक्षण को पहचानना क्यों जरूरी है

दिल की बीमारी अचानक नहीं आती। यह धीरे-धीरे शरीर में अपनी पकड़ बनाती है।

बहुत से मरीजों में शुरुआती लक्षण इतने हल्के होते हैं कि वे थकान या तनाव समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

कुछ आम शुरुआती संकेत इस प्रकार हैं:

  1. चलते या सीढ़ियाँ चढ़ते समय सांस का फूलना
  2. अचानक अत्यधिक पसीना आना
  3. जबड़े, कंधे या पीठ में दर्द या भारीपन
  4. बेचैनी या कमजोरी महसूस होना

दिलचस्प बात यह है कि महिलाओं में लक्षण और भी सूक्ष्म होते हैं।

कई बार उन्हें सीने में दर्द नहीं, बल्कि उल्टी, सिर घूमना या थकावट जैसे संकेत मिलते हैं, जिन्हें सामान्य माना जाता है।

डॉक्टरों की राय: रोकथाम ही सबसे बड़ा इलाज

विशेषज्ञों का मानना है कि दिल की बीमारियों से बचने का सबसे बेहतर तरीका है रोकथाम

अगर आप नीचे दिए गए कदमों का पालन करें तो हार्ट अटैक का खतरा काफी कम किया जा सकता है:

  1. नियमित जांच कराएं: ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर हर 6 महीने में जरूर जांचें।
  2. धूम्रपान और तंबाकू से दूरी बनाएं।
  3. संतुलित आहार लें: फाइबर-युक्त खाना, ताजे फल और सब्जियां ज़्यादा खाएं।
  4. व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें।
  5. तनाव कम करें: योग, ध्यान या घूमना बेहद असरदार हैं।

डॉ. रश्मि चौहान, दिल्ली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, कहती हैं,

“हर इंसान को अपने शरीर की आवाज़ सुननी चाहिए। अगर आप महसूस करते हैं कि सांस पहले से जल्दी फूलने लगी है, तो यह चेतावनी हो सकती है। दिल कभी अचानक नहीं रुकता, वह पहले संकेत देता है।”

भारत में दिल की बीमारियों की स्थिति

भारत में दिल के रोग तेजी से बढ़ रहे हैं।

इंडियन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, हर चार में से एक मौत का कारण कार्डियक डिजीज है।

शहरी जीवनशैली, तनाव, नींद की कमी और असंतुलित खान-पान इसकी बड़ी वजहें हैं।

साल 2025 तक देश में 3 करोड़ से ज़्यादा लोग हृदय रोग से प्रभावित हो सकते हैं, अगर रोकथाम पर ध्यान नहीं दिया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में भी अब यह बीमारी तेजी से फैल रही है क्योंकि वहां भी जंक फूड और धूम्रपान बढ़ा है।

निष्कर्ष: जागरूकता ही बचाव है

दिल का दौरा हमेशा नाटकीय तरीके से नहीं आता।

कई बार यह चुपचाप शरीर में अपने संकेत देता है।

अगर आप समय पर इन संकेतों को पहचान लें — जैसे सांस फूलना, कमजोरी या थकावट — तो शायद जिंदगी बचाई जा सकती है।

याद रखें, छाती का दर्द हमेशा पहला लक्षण नहीं होता।

कभी-कभी दिल आवाज़ लगाता है, बस हम उसे सुन नहीं पाते।