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खांसी की दवा से 9 बच्चों की मौत: मध्य प्रदेश ने Coldrif पर लगाई रोक, राजस्थान ने दवा नियंत्रक को किया निलंबित

byaditya4h agoस्वास्थ्य
खांसी की दवा से 9 बच्चों की मौत: मध्य प्रदेश ने Coldrif पर लगाई रोक, राजस्थान ने दवा नियंत्रक को किया निलंबित

मध्य प्रदेश के उज्जैन में 9 बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। बच्चों की मौत के पीछे जिस खांसी की दवा का नाम सामने आया है, वह है ‘Coldrif Cough Syrup’, जिसे राजस्थान की एक फार्मा कंपनी Kaysons Pharma बनाती है। इस घटना के बाद दो राज्यों — मध्य प्रदेश और राजस्थान — ने बिल्कुल अलग तरीके से कार्रवाई की है।

उज्जैन से शुरू हुआ दर्दनाक सिलसिला

बीते कुछ दिनों में उज्जैन जिले में कई बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। सभी में उल्टी, दौरे और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई दिए। इलाज के दौरान नौ बच्चों की मौत हो गई। डॉक्टरों को जब शक हुआ कि यह किसी जहरीली दवा का असर हो सकता है, तब जांच शुरू हुई।

प्राथमिक जांच में पता चला कि बच्चों ने हाल ही में Coldrif नाम की खांसी की सिरप पी थी। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा,

“बच्चों की मौत किसी लापरवाही की वजह से हुई है, तो जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा। पूरी सप्लाई चेन की जांच की जा रही है।”

राज्य सरकार ने तुरंत Coldrif Syrup की राज्यभर में बिक्री पर रोक लगा दी। स्वास्थ्य विभाग ने उज्जैन, इंदौर, भोपाल समेत कई जिलों से 8,000 से ज्यादा बोतलें जब्त कीं और जांच के लिए भेजीं। शुरुआती रिपोर्ट में दवा के सैंपल में संभावित मिलावट या जहरीले तत्व पाए जाने की आशंका जताई गई है, हालांकि फाइनल रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।

राजस्थान में अलग रुख — दवा नियंत्रक सस्पेंड

जहां मध्य प्रदेश ने Coldrif पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया, वहीं राजस्थान सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर कड़ी कार्रवाई की है। दवा बनाने वाली कंपनी Kaysons Pharma का मुख्यालय राजस्थान में है। इस वजह से राज्य सरकार ने कंपनी के सभी उत्पादों की जांच शुरू कर दी है और राज्य के ड्रग कंट्रोलर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि Kaysons Pharma के सभी प्रोडक्ट्स के सैंपल विभिन्न प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं। साथ ही, पिछले पांच वर्षों में कंपनी को जारी किए गए सभी लाइसेंस की समीक्षा की जाएगी।

हालांकि राजस्थान ने अभी तक कंपनी की सभी दवाओं पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन जांच पूरी होने तक उनकी वितरण और बिक्री पर रोक लगा दी गई है।

क्वालिटी कंट्रोल पर फिर उठे सवाल

यह मामला एक बार फिर भारत की दवा गुणवत्ता प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा जेनेरिक दवा निर्माता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कई देशों — जैसे गाम्बिया और उज़्बेकिस्तान — में भारतीय दवाओं के कारण बच्चों की मौत की खबरें सामने आ चुकी हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. समीर वर्मा का कहना है,

“हर बार किसी हादसे के बाद जांच होती है, रिपोर्ट बनती है, लेकिन सिस्टम में बदलाव नहीं आता। दवाओं की क्वालिटी चेकिंग अभी भी कागजों में सीमित है।”

भारत में दवा कंपनियों की निगरानी का काम राज्य स्तरीय ड्रग कंट्रोलर्स के जिम्मे है, लेकिन अक्सर राज्यों के बीच समन्वय की कमी ऐसे हादसों को और जटिल बना देती है।

कंपनी की सफाई और विवाद

इस बीच, Kaysons Pharma ने अपनी सफाई में कहा है कि उनकी दवा पूरी तरह मानक के अनुसार बनी है और उन्होंने सभी बैच रिपोर्ट्स ड्रग विभाग को सौंप दी हैं। कंपनी का दावा है कि जांच में अगर कुछ गड़बड़ी मिलती है, तो वे खुद कार्रवाई में सहयोग करेंगे।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ एक कंपनी की गलती नहीं, बल्कि यह पूरे सिस्टम की नाकामी है।

बच्चों की सुरक्षा पर राष्ट्रीय बहस

इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी भारी नाराजगी फैला दी है। कई अभिभावकों ने सवाल उठाया है कि अगर दवा दुकान से खरीदी गई दवा ही जानलेवा निकल जाए, तो आम लोग किस पर भरोसा करें?

केंद्र सरकार ने भी इस पर रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि अगर दोष साबित होता है, तो निर्माता पर Drug and Cosmetic Act के तहत सख्त कार्रवाई होगी।

आगे क्या?

फिलहाल दोनों राज्यों ने अपनी-अपनी जांच टीमें गठित कर दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब राष्ट्रीय स्तर पर दवा सुरक्षा निगरानी प्रणाली (Drug Safety Grid) बनानी चाहिए, जिससे किसी भी दवा की गुणवत्ता पर तुरंत कार्रवाई हो सके।

यह हादसा केवल नौ परिवारों का दुख नहीं है — यह हमारे हेल्थ सिस्टम के लिए एक चेतावनी है। जब तक दवा निर्माण और वितरण में जवाबदेही तय नहीं होगी, ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे।