
ऐतिहासिक यात्रा का आख़िरी पड़ाव
मानवता की सबसे बड़ी अंतरिक्ष उपलब्धियों में से एक, International Space Station (ISS) अब अपने अंतिम अध्याय की ओर बढ़ रहा है। NASA ने साफ़ कर दिया है कि साल 2030 में इस विशालकाय स्टेशन को नियंत्रित तरीके से धरती के वायुमंडल में उतारा जाएगा, और उसकी चमकती हुई कहानी समुद्र की गहराइयों में समा जाएगी।
पिछले 24 सालों से ISS धरती की कक्षा में लगातार चक्कर लगा रहा है। यहां वैज्ञानिकों ने दवाओं पर रिसर्च की, नए मटीरियल्स टेस्ट किए और यह भी सीखा कि इंसान लंबी अवधि तक अंतरिक्ष में कैसे जी सकता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस स्टेशन ने मानव सभ्यता को अंतरिक्ष में "घर" जैसा अहसास दिलाया।
NASA का प्लान और Deorbit Mission
NASA ने जानकारी दी है कि ISS को सुरक्षित तरीके से नीचे लाने के लिए एक खास US Deorbit Vehicle (USDV) बनाया जाएगा। यह नया स्पेसक्राफ्ट स्टेशन को धरती के वातावरण में ले जाकर "Point Nemo" नामक इलाके में गिराएगा, जो कि दक्षिण प्रशांत महासागर का बेहद दूरदराज़ और खाली इलाका है।
NASA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बयान दिया –
"हमने इस स्टेशन से अपनी क्षमताओं की सीमाएं छू ली हैं। लेकिन अब वक्त है कि इसे सम्मानजनक विदाई दी जाए और अगली पीढ़ी की ओर कदम बढ़ाया जाए।"
क्यों लिया गया यह फैसला?
दरअसल, ISS अब तकनीकी रूप से बूढ़ा हो चुका है। इसमें आए दिन छोटे-मोटे लीकेज या मरम्मत की समस्याएं सामने आती रहती हैं। हाल ही में रूसी मॉड्यूल से हुए एक लीकेज के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रू मिशन को टालना पड़ा था। NASA का मानना है कि ज्यादा समय तक इसे चलाना अब महंगा और रिस्की है।
सिर्फ तकनीकी समस्या ही नहीं, बल्कि खर्च भी एक बड़ी वजह है। हर साल इस स्टेशन की देखभाल पर अरबों डॉलर खर्च होते हैं। ऐसे में NASA अब इन पैसों को नई commercial space stations और Deep Space Missions की तरफ मोड़ना चाहता है।
Commercial Era की शुरुआत
NASA ने साफ कहा है कि ISS के रिटायर होने से पहले कम से कम एक commercial orbital outpost को तैयार कर लिया जाएगा। इसका मतलब है कि आने वाले सालों में प्राइवेट कंपनियां अपने-अपने अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करेंगी।
सबसे आगे Axiom Space है, जो ISS से जुड़कर धीरे-धीरे अपना स्वतंत्र मॉड्यूल बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके अलावा Blue Origin और अन्य कंपनियां भी "Space Hotels" और "Private Labs" के कॉन्सेप्ट पर तेजी से निवेश कर रही हैं।
यानी ISS का अंत एक युग की समाप्ति जरूर होगा, लेकिन इसके बाद इंसानियत को अंतरिक्ष में नई शुरुआत मिल सकती है।
Global Politics और International Partnerships
ISS सिर्फ एक प्रयोगशाला नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीति का प्रतीक भी रहा है। अमेरिका और रूस जैसे विरोधी देशों ने भी यहां सहयोग किया। भारत, जापान, यूरोप और कई अन्य देशों के वैज्ञानिकों ने यहां रिसर्च की।
अब बड़ा सवाल यह है कि जब कमान प्राइवेट कंपनियों के हाथ में जाएगी तो क्या छोटे देश भी उतनी ही आसानी से इसमें भाग ले पाएंगे? एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक का कहना है:
"ISS ने सबको बराबरी का मौका दिया। हमें डर है कि commercial model कहीं अंतरिक्ष को अमीर देशों और कंपनियों तक सीमित न कर दे।"
आम लोगों के लिए क्या मायने?
पढ़ने वालों के मन में यह सवाल आना लाज़मी है कि ISS के खत्म होने से आम लोगों पर क्या फर्क पड़ेगा? सीधे तौर पर शायद नहीं, लेकिन लंबे समय में इसका असर दवाइयों की रिसर्च, इंटरनेट टेक्नोलॉजी, और स्पेस टूरिज़्म पर देखने को मिलेगा।
क्योंकि अब जो भी स्टेशन आएंगे, वे ज्यादा आधुनिक होंगे और कंपनियां रिसर्च से लेकर टूरिज़्म तक, हर चीज़ को व्यावसायिक मॉडल पर ढालेंगी।
ISS का नाम सुनते ही कई वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष प्रेमियों के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में चमक आ जाती है। Reddit जैसे मंचों पर यूज़र्स लिख रहे हैं:
"यह सोचना ही अजीब है कि हमारे जीवनकाल में लगातार आसमान के ऊपर एक घर घूमता रहा। अब उसकी विदाई दिल तोड़ने वाली होगी।"
NASA के इस फैसले ने साफ कर दिया है कि अंतरिक्ष का अगला दशक Commercialization और Private Innovation से भरा होगा। चाहे SpaceX का Mars प्रोजेक्ट हो या Axiom का स्पेस होटल – अब आसमान में सिर्फ सरकारों का नहीं, बल्कि कंपनियों का राज होगा।
और हां, ISS को अलविदा कहना दुखद है, लेकिन इसे एक "graduation ceremony" की तरह देखना चाहिए। जैसे कोई छात्र कॉलेज से निकलकर नई दुनिया में कदम रखता है, वैसे ही मानवता अब अंतरिक्ष के नए सफर की ओर बढ़ रही है।